Respuesta :
वीरांगनाओं के बलिदान
जब बात हो भारत के इतिहास की तो इतना गौरवशाली और स्वाभिमान देश शायद ही हो कोई जहां आजादी के लिए बच्चे तथा महिलाएं भी अपने फर्ज से नही चुके। इन्ही में कुछ नाम तो विश्व प्रसिद्ध हैं और कई नाम जो शायद ही हमने कभी सुने होंगे।
रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, इन्ही के नाम एक पंक्ति बहुत प्रसिद्ध है।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
रानी लक्ष्मीबाई का असली नाम मणिकर्णिका था। वे एक मराठा कुल की बेटी थीं, बचपन से ही तलवारबाजी तथा युद्ध में कुशल मणिकर्णिका शादी के बाद लक्ष्मीबाई बन चुकी थी। सन् १८५७ में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध सर्वप्रथम क्रांति को अंजाम दिया।
कित्तूर की रानी चेन्नम्मा भी इन्हीं की तरह एक धैर्यशाली वीरांगना थी जिन्होंने कर्नाटक में अंग्रेजो का जम कर विद्रोह किया। रानी चेन्नम्मा ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ एक बगावत शुरू की थी।
सरोजिनी नायडू यह नाम भी आपने शायद कहीं सुना होगा। सरोजिनी को बड़ी छोटी सी उम्र में ही भाषा का अच्छा ज्ञान हो गया था। सरोजिनी नायडू ने भारत छोड़ो आंदोलन तथा अन्य सत्याग्रहों का नेतृत्व किया था जिनके कारण उन्हें कई मर्तबा जेल भी जाना पड़ा था।
ऐसे ही कई वीरांगनाओं ने देश के लिए खुद को समर्पित कर दिया, और मैं इनकी बहादुरी को सलाम करता हूं।
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